कुरुक्षेत्र, 15 दिसंबर (एकजोत)।अंतरराष्ट्रीय गीता महोत्सव के पावन अवसर पर श्री गो गीता गायत्री सत्संग सेवा समिति के तत्वावधान में आयोजित नजदीक ङीएवी स्कूल सेक्टर-सेक्टर-3 में समापन दिवस के अवसर पर भागवत प्रवक्ता कथा वाचक अनिल शास्त्री ने उपस्थित श्रोताओं को बताया कि उज्जैन (अवंतिका) में स्थित ऋषि सांदीपनि के आश्रम में बचपन में भगवान श्रीकृष्ण और बलराम पढ़ते थे। वहां उनके कई मित्रों में से एक सुदामा भी थे। सुदामा श्रीकृष्ण के खास मित्र थे। वे एक गरीब ब्राह्मण के पुत्र थे। सुदामा और श्रीकृष्ण आश्रम से भिक्षा मांगने नगर में जाते थे। आश्रम में आकर भिक्षा गुरु मां के चरणों में रखने के बाद ही भोजन करते थे। परंतु सुदामा को बहुत भूख लगती थी तो वे चुपके से कई बार रास्ते में ही आधा भोजन चट कर जाते थे। एक बार गुरु मां ने सुदामा को चने देकर कहा कि इसमें से आधे चने श्रीकृष्ण को भी दे देना और तुम दोनों जाकर जंगल से लकड़ी बिन लाओ। फिर दोनों जंगल में लकड़ी बिनने चले गए। वहां बारिश होने लगी और तभी दोनों एक शेर को देखर कर वृक्ष पर चढ़ जाते हैं। ऊपर सुदामा और नीचे श्रीकृष्ण। फिर सुदामा अपने पल्लू से चने निकालकर चने खाने लगता है। चने खाने की आवाज सुनकर श्रीकृष्ण कहते हैं, अरे ये कट-कट की आवाज कैसी आ रही है। इस अवसर पर मुख्य यजमान पंडित राजेश शर्मा, उर्मिला शर्मा, माम चंद, बेटी अंजना, डॉ जीत सिंह मेहरा, डॉ राम अवतार सिंह एवं अन्य उपस्थित रहे।