हरियाणा के कृषिमंत्री श्याम सिंह राणा ने भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। मंत्री ने हरियाणा में प्राकृतिक खेती हेतु देशी गाय पालने वाले किसान को 30 हजार रुपए सहयोग राशि देने की घोषणा की। आचार्य देवव्रत की बात का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ के परिणाम हमेशा खतरनाक होते हैं, आज खेतों में उत्पादन बढ़ाने के लिए जो पेस्टीसाइड, यूरिया, डीएपी व कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है इसके दुष्परिणाम कैंसर, हार्टअटैक, बीपी, शुगर जैसी बीमारियों के रूप में हमारे सामने हैं। खेतों में कीटनाशक और यूरिया डाल-डालकर किसानों ने भूमि को बंजर बना दिया है वहीं पीने का पानी भी दूषित हो गया है, इससे बचने का एक ही उपाय है कि किसान प्रकृति के अनुरूप ही खेती करें अर्थात् प्राकृतिक खेती को अपनाएं। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि फसलों के अवशेष खेतों में ही डालें, उनमें आग न लगाए, ये अवशेष खेतों में खाद का काम करेंगे। इससे पूर्व गुरुकुल पहुंचने पर कृषिमंत्री का राज्यपाल द्वारा बुके देकर स्वागत किया गया। इसके बाद आचार्य देवव्रत के साथ कृषि मंत्री ने गुरुकुल के फार्म का भ्रमण किया जहां पर 15 फीट से ऊंचे गन्ने को देखकर वे हैरत में पड़ गये। फार्म पर मंत्री श्याम सिंह राणा ने कमलम, अमरूद, सेब, आम, लीची के बाग और हरी सब्जियों की फसलों पर विस्तार से चर्चा की। गुरुकुल के क्रेशर पर मंत्री और आचार्यश्री ने गरम गुड़ का स्वाद चखा। फार्म के बाद सभी अतिथियों ने गुरुकुल की गोशाला, विद्यालय भवन, आर्ष महाविद्यालय तथा एन.डी.ए. ब्लॉक का भ्रमण किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कृषि मंत्री को स्मृति-चिह्न और प्राकृतिक उत्पाद भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, उप प्रधान मास्टर सतपाल काम्बोज, निदेशक बिग्रेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्रिंसीपल डॉ. सूबे प्रताप, रामनिवास आर्य आदि मौजूद रहे।
खेत के अवशेष खेत में ही रहने दें तो नहीं पड़ेगी खाद की जरूरत : श्याम सिंह राणा
हरियाणा के कृषिमंत्री श्याम सिंह राणा ने भी प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की बात कही। मंत्री ने हरियाणा में प्राकृतिक खेती हेतु देशी गाय पालने वाले किसान को 30 हजार रुपए सहयोग राशि देने की घोषणा की। आचार्य देवव्रत की बात का समर्थन करते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति से छेड़छाड़ के परिणाम हमेशा खतरनाक होते हैं, आज खेतों में उत्पादन बढ़ाने के लिए जो पेस्टीसाइड, यूरिया, डीएपी व कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग हो रहा है इसके दुष्परिणाम कैंसर, हार्टअटैक, बीपी, शुगर जैसी बीमारियों के रूप में हमारे सामने हैं। खेतों में कीटनाशक और यूरिया डाल-डालकर किसानों ने भूमि को बंजर बना दिया है वहीं पीने का पानी भी दूषित हो गया है, इससे बचने का एक ही उपाय है कि किसान प्रकृति के अनुरूप ही खेती करें अर्थात् प्राकृतिक खेती को अपनाएं। उन्होंने किसानों से आह्वान किया कि फसलों के अवशेष खेतों में ही डालें, उनमें आग न लगाए, ये अवशेष खेतों में खाद का काम करेंगे। इससे पूर्व गुरुकुल पहुंचने पर कृषिमंत्री का राज्यपाल द्वारा बुके देकर स्वागत किया गया। इसके बाद आचार्य देवव्रत के साथ कृषि मंत्री ने गुरुकुल के फार्म का भ्रमण किया जहां पर 15 फीट से ऊंचे गन्ने को देखकर वे हैरत में पड़ गये। फार्म पर मंत्री श्याम सिंह राणा ने कमलम, अमरूद, सेब, आम, लीची के बाग और हरी सब्जियों की फसलों पर विस्तार से चर्चा की। गुरुकुल के क्रेशर पर मंत्री और आचार्यश्री ने गरम गुड़ का स्वाद चखा। फार्म के बाद सभी अतिथियों ने गुरुकुल की गोशाला, विद्यालय भवन, आर्ष महाविद्यालय तथा एन.डी.ए. ब्लॉक का भ्रमण किया। राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कृषि मंत्री को स्मृति-चिह्न और प्राकृतिक उत्पाद भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर गुरुकुल के प्रधान राजकुमार गर्ग, उप प्रधान मास्टर सतपाल काम्बोज, निदेशक बिग्रेडियर डॉ. प्रवीण कुमार, प्रिंसीपल डॉ. सूबे प्रताप, रामनिवास आर्य आदि मौजूद रहे।